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नई दिल्ली: जेएनयू में देशविरोधी नारे को लेकर हुए विवाद पर लेफ्ट नेता सीताराम येचुरी और डी राजा ने गृहमंत्री राजनाथ सिंह से मुलाकात की. मुलाकात के बाद लेफ्ट नेता सीताराम येचुरी ने कहा, ”हमने गृहमंत्री को अपनी बात बताई है. गृहमंत्री ने आश्वासन दिया है कि किसी निर्दोष पर कार्रवाई नहीं की जाएगी. इस मुलाकात में लेफ्ट नेताओं के साथ जेडीयू सांसद केसी त्यागी भी मौजूद थे.
सीताराम ने आगे कहा कि हमने जेएनयू के मौजूदा हालातों से गृहमंत्री को अवगत कराया है. इसके साथ ही उन्हें ये भी बताया कि ये बहुत गंभीर मामला है.
जिस तरह से पूरे विश्वविद्यालय को देशद्रोह की छाप लगाकर जो कार्रवाई की जा रही है वो आपातकाल के दौर से भी बद्तर है. आज कोई भी इस बात को स्वीकार करने को तैयार नहीं है कि जेएनयू के छात्र देशद्रोही हैं.
सीताराम ने आगे कहा कि नए वीसी के जरिए जो पुलिस को कैंपस में कार्रवाई की इजाजत दी गई. इस तरह की घटना पहले हैदराबाद सेंट्रल विश्वविद्यालय में हुई थी.
येचुरी ने आरोप लगाया कि इस तरह से सरकार देश के उच्चतम संस्थानों पर आरएसएस की विचारधारा लागू करना चाहती है. हम इसका विरोध करते हैं.
सीताराम ने कहा, ”हमने गृहमंत्री को बताया है कि जिस बीस छात्रों के नाम उस लिस्ट में और जो नारे लगा रहे हैं ये लोग एक नहीं हैं.
जेडीयू नेता केसी त्यागी ने कहा, ”कन्हैया जिस पार्टी का नेता है उसका मानना है कि कश्मीर भारत का हिस्सा है तो फिर उस पर देशद्रोह का आरोप कैसे लगा सकते हैं?”
क्या है जेएनयू विवाद?
9 फऱवरी को जेएनयू में वामपंथी और दलित संगठनों से जुड़े छात्रों ने संसद पर हमले के दोषी अफजल गुरु की बरसी मनाई. इसमें कश्मीर के छात्र भी शामिल थे. इसके लिए कैंपस में एक सांस्कृतिक संध्या का आय़ोजन भी किया गया था. इस दौरान देश विरोधी नारे भी लगाए गए. आरोप है कि विरोध करने पर इन लोगों ने ABVP के कार्यकर्ताओं की पिटाई भी की.
जेएनयू प्रशासन इस बात की जांच शुरू कर चुका है कि आखिर इजाजत नहीं मिलने के बाद भी कैंपस में अफजल गुरु की बरसी का कार्यक्रम कैसे आयोजित हुआ.
वैसे ये पहला मौका नहीं है जब देश की इस नामी यूनिवर्सिटी में इस तरह की देश विरोधी हरकत हुई है. अफजल गुरु की फांसी के वक्त भी यहां विरोध प्रदर्शन देखने को मिले थे.

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