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नई दिल्ली: गृह मंत्री ने कहा है कि JNU में देश विरोधी नारे लगाने वाले लोगों के खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्रवाई की जाएगी . उन्होंने कहा कि ऐसे लोगों को किसी भी कीमत पर माफ नहीं किया जाएगा. 9 फरवरी की रात JNU में भारत विरोधी नारे लगाये गये थे. इतना ही नहीं गुरुवार को दिल्ली के प्रेस क्लब में भी पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे लगाये गये थे.
”भारत मां का अपमान ये राष्ट्र कभी सहन नहीं करेगा”
जेएनयू विवाद पर शिक्षा मंत्री स्मृति ने प्रतिक्रिया जाहिर करते हुए कहा, “आज सरसस्वती की वंदना का दिन है, माँ सरस्वती हर परिवार को ये वरदान देती है की उनके कंठ से जो स्वर निकले वह राष्ट्र को और उन्नत करने के लिए निकले, और सशक्त करने के लिए निकले. भारत मां का जयगान हो, भारत मां का अपमान ये राष्ट्र कभी सहन नहीं करेगा.”
देश विरोध पर देशद्रोह का केस
दोनों मामलों में पुलिस ने कल बीजेपी सांसद महेश गिरी और ABVP छात्र नेताओं की शिकायत पर देशद्रोह का केस दर्ज कर रखा है. दिल्ली की वसंत कुंज नॉर्थ पुलिस ने अज्ञात लोगों के खिलाफ देशद्रोह से जुड़ी धारा 124A के तहत केस दर्ज किया है. पुलिस ने कार्यक्रम के वीडियो फुटेज की जांच भी शुरू कर दी है.
आतंकी अफजल गुरु के नाम पर कार्यक्रम आयोजित करने के तीन दिन बीतने के बाद भी अभी तक किसी भी आरोपी को गिरफ्तार नहीं किया गया है. इस पूरे मामले पर ABVP ने आज दोपहर इंडिया गेट पर बड़े विरोध प्रदर्शन का एलान किया है.
देशद्रोह पर देश भर में गुस्सा
जेएनयू में देशद्रोहिय़ों के खिलाफ लोगों का गुस्सा भी भड़क गया है. मुनिरका इलाके में स्थानीय लोगों ने प्रदर्शन किया है. यूनिवर्सिटी से देशद्रोहियों को निकालने की मांग को लेकर लोग सड़क पर उतर आये हैं.
क्या है JNU का ये पूरा विवाद?
9 फऱवरी को जेएनयू में वामपंथी और दलित संगठनों से जुड़े छात्रों ने संसद पर हमले के दोषी अफजल गुरु की बरसी मनाई. इसमें कश्मीर के छात्र भी शामिल थे. इसके लिए कैंपस में एक सांस्कृतिक संध्या का आय़ोजन भी किया गया था. इस दौरान देश विरोधी नारे भी लगाए गए. आरोप है कि विरोध करने पर इन लोगों ने ABVP के कार्यकर्ताओं की पिटाई भी की.
जेएनयू प्रशासन इस बात की जांच शुरू कर चुका है कि आखिर इजाजत नहीं मिलने के बाद भी कैंपस में अफजल गुरु की बरसी का कार्यक्रम कैसे आयोजित हुआ.
वैसे ये पहला मौका नहीं है जब देश की इस नामी यूनिवर्सिटी में इस तरह की देश विरोधी हरकत हुई है. अफजल गुरु की फांसी के वक्त भी यहां विरोध प्रदर्शन देखने को मिले थे.

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