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नई दिल्ली: वरिष्ठ कांग्रेस नेता आनंद शर्मा ने शनिवार रात आरोप लगाया कि जब वह छात्रों द्वारा आयोजित विरोध प्रदर्शन में भाग लेने के बाद राहुल गांधी के साथ लौट रहे थे तो जेएनयू परिसर में एबीवीपी के कार्यकर्ताओं ने उन पर शारीरिक रूप से हमला किया.
उन्होंने कहा कि एसपीजी को गांधी को एक वैकल्पिक वाहन में ले जाना पड़ा क्योंकि कथित हमलावरों ने कांग्रेस उपाध्यक्ष का वाहन भी घेर लिया था.
कांग्रेस के दावे के मुताबिक यह हमला विश्वविद्यालय परिसर में प्रदर्शन स्थल से कुछ दूरी पर हुआ और एबीवीपी कार्यकर्ताओं ने अंधेरे का फायदा उठाया.
शर्मा ने कहा कि हमले के बाद मेरे बाएं कान से खून बह रहा था और मुझे कुछ चोटें भी लगीं. इस पर कांग्रेस ने कहा है कि यह भारतीय लोकतंत्र के लिए काला दिन है.
आनंद शर्मा पर सरकार से सुरक्षा प्राप्त एबीवीपी के गुंडों ने जेएनयू कैंपस में सार्वजनिक हमला किया है. कांग्रेस ने कल की घटना को लोकतंत्र के लिए काला दिवस मनाते हुए पीएम से कार्रवाई की मांग की है .
कांग्रेस ने सवाल उठाया, “राज्यसभा में विपक्ष के उपनेता पर एबीवीपी के गुंडे कैंपस में कैसे हमला कर सकते हैं? क्या प्रधानमंत्री अब एबीवीपी के गुंडों और आनंद शर्मा को सुरक्षा देने में नाकाम रहने वाली पुलिस पर कार्रवाई करेंगे.
जेएनयू विवाद बना विचारधारा की लड़ाई
जेएनयू विवाद अब बीजेपी और उसके वामपंथी विरोधियों के बीच विचारधारा की लड़ाई बन गया है. कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने वामपंथी पार्टियों के समर्थन में उतरते हुए मोदी सरकार की तुलना हिटलर के शासनकाल से की.
एआईएसएफ के सदस्य और जेएनयू छात्र संघ के अध्यक्ष कन्हैया कुमार की गिरफ्तारी ने पूरे मामले को दो खेमों में बांट दिया है. इस बीच, सरकार ने ऐलान किया है कि जेएनयू जैसी प्रतिष्ठित यूनिवर्सिटी को देशद्रोही गतिविधियों का अड्डा नहीं बनने दिया जाएगा. वहीं दिल्ली सरकार ने जेएनयू में देश विरोधी नारे लगाने वाली घटना की मजिस्ट्रेट जांच के आदेश दिए है.
नारे लगाने के मामले में एबीवीपी को भी लपेटा है. इस मामले की नई दिल्ली के डीएम जांच करेंगे जिन्हें अगले 15 दिन के अंदर रिपोर्ट सौंपनी है. गौरतलब है कि शनिवार को लेफ्ट नेताओं ने केजरीवाल से मुलाकात की थी.

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